पैसा बहुत कुछ खरीद सकता है, मगर सब कुछ नहीं।
सुकून, भरोसा और अपनापन उसकी पहुंच से बाहर है।
जिसे सिर्फ़ पैसे से मतलब हो, वो कभी रिश्ता नहीं निभा सकता।
कम कमाओ लेकिन इज़्ज़त से कमाओ — यही असली कमाई है।
पैसा हाथ में हो तो अच्छा है, पर दिल में ना चढ़े — यही समझदारी है।
पैसा ज़िंदगी का हिस्सा है, मगर मकसद नहीं।
कई बार हम पैसे के लिए इतना भागते हैं कि जीना ही भूल जाते हैं।
पैसा अगर इज़्ज़त, नींद और रिश्तों की कीमत पर आए —
तो वो बोझ बन जाता है, दौलत नहीं।