> “ख्वाबों को सहेजना भी इबादत है”
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> “हर वो चीज़ जिसे हम सोच-समझकर सहेजते हैं,
चाहे वो वक्त हो, खुशी हो या मेहनत की कमाई —
सब हमारे आने वाले कल को संवारती है।
• फिजूलखर्ची से बचना, खुद पर किया सबसे खूबसूरत एहसान होता है।
• जो दिल से बचाया जाता है, वही एक दिन सबसे बड़ी ताकत बनता है।
• जरूरतों और ख्वाहिशों के बीच फर्क करना ही असली समझदारी है।
बचत सिर्फ़ रुपयों में नहीं होती,
बचत होती है — भरोसे में, सुकून में, और आने वाले अपने सपनों में।
चलिए, आज से हर छोटी कोशिश को भी इज्ज़त दें,
क्योंकि जो सहेजते हैं, वही आने वाले मौसम में मुस्कुराते हैं।”
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