हर रिश्ता ज़रूरी नहीं कि ज़ोर से बोले या हर रोज़ सामने आए।
कुछ लोग होते हैं जो चुप रहते हैं, भीड़ में दिखते नहीं, लेकिन दिल में सबसे गहरी जगह रखते हैं।
वो लोग हर दिन कॉल नहीं करते।
वो हर तस्वीर में नहीं दिखते।
वो स्टोरी या पोस्ट में नाम नहीं डालते।
लेकिन जब दिल भारी होता है, जब मुश्किल वक्त आता है — सबसे पहले वही याद आते हैं।
ये चुपचाप निभाए जाने वाले रिश्ते सबसे मजबूत होते हैं।
इन्हें ना दिखावे की ज़रूरत होती है, ना तारीफ की।
बस भरोसे और समझ की ज़रूरत होती है — और वो दोनों बिना कहे मिल जाते हैं।
आज की दुनिया में, जहाँ सबकुछ दिखाना जरूरी हो गया है, ऐसे लोग हमें याद दिलाते हैं कि असली साथ कभी कैमरे में नहीं आता।
असल साथ वो होता है जो चुपचाप आपके पीछे खड़ा हो, जब सब पीछे हट जाएँ।
तो अगली बार जब सोचो कि तुम्हारे अपने कौन हैं — सबसे ज़्यादा चिल्लाने वालों को मत देखो।
उन पर नज़र डालो जो बिना शोर के तुम्हारे साथ खड़े हैं।