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> “जब लफ्ज़ रुक जाते हैं,
तब दिल की सच्ची आवाज़ गूंजती है।
खामोशी कोई कमी नहीं,
बल्कि वो अमानत है जिसमें सुकून, समझदारी और मोहब्बत सांस लेती है।
• हर रोज़ कुछ पल अपने वजूद के साथ खामोश बैठना सीखिए।
• बिना बोले अपनी रूह की हलकी सी दस्तक सुनिए।
• खामोशी में खुद को पढ़िए, वही असल पहचान है आपकी।
हर बात अल्फाज़ से नहीं कही जाती,
कभी-कभी खामोशियाँ भी रूह को सींच देती हैं।
आइए, आज से खामोशी के इन नर्म खज़ानों को सीने से लगा लें।”
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